‏ 1 John 1

1उस ज़िन्दगी के कलाम के बारे में जो शुरू से था ,और जिसे हम ने सुना और अपनी आँखों से देखा बल्कि ,ग़ौर से देखा और अपने हाथों से छुआ | 2[ये ज़िन्दगी ज़ाहिर हुई और हम ने देखा और उसकी गवाही देते हैं ,और इस हमेशा की ज़िन्दगी की तुम्हें ख़बर देते हैं जो बाप के साथ थी और हम पर ज़ाहिर हुई है।]

3जो कुछ हम ने देखा और सुना है तुम्हें भी उसकी ख़बर देते है ,ताकि तुम भी हमारे शरीक हो ,और हमारा मेल मिलाप बाप के साथ और उसके बेटे ईसा’ मसीह के साथ है | 4और ये बातें हम इसलिए लिखते है कि हमारी ख़ुशी पूरी हो जाए |

5उससे सुन कर जो पैग़ाम हम तुम्हें देते हैं ,वो ये है कि ख़ुदा नूर है और उसमे ज़रा भी तारीकी नहीं | 6अगर हम कहें कि हमारा उसके साथ मेल मिलाप है और फिर तारीकी में चलें ,तो हम झूटे हैं और हक़ पर ‘अमल नहीं करते | 7लेकिन जब हम नूर में चलें जिस तरह कि वो नूर में हैं , तो हमारा आपस मे मेल मिलाप है ,और उसके बेटे ईसा’ का खून हमें तमाम गुनाह से पाक करता है |

8अगर हम कहें कि हम बेगुनाह हैं तो अपने आपको धोका देते हैं ,और हम में सच्चाई नहीं | 9अगर अपने गुनाहों का इक़रार करें ,तो वो हमारे गुनाहों को मु’आफ़ करने और हमें सारी नारास्ती से पाक करने में सच्चा और ‘आदिल है | अगर कहें कि हम ने गुनाह नहीं किया ,तो उसे झूठा ठहराते हैं और उसका कलाम हम में नहीं है |

10

Copyright information for UrdULB
The selected Bible will not be clickable as it does not support the Vocabulary feature. The vocabulary is available by hovering over the verse number.

Everyone uses cookies. We do too! Cookies are little bits of information stored on your computer which help us give you a better experience. You can find out more by reading the STEPBible cookie policy.